Wednesday, September 3, 2014

समाप्त होएके अवस्थामे, रौतहटके धार्मिक एवम् पर्यटकीय जगहके पहिचान

 रौतहट, भादो ।  जिल्लाके सदरमुकाम गौर स्थित बरहवा ताल क्षेत्र, सिवनगर शिव मन्दीर, राजदेवमे रहल राजदेवीमन्दीर, महादेपटी शिव मन्दीर, बागमति नदी किनारमे रहल धामिर्क एवं पर्यटकीय जगह नुनथर, पौराई मे रहल ब्रम्हस्थान, सन्तपुरके मरधर सिमसार क्षेत्र लगाएत आधा दर्जनसे भी जादाँ ऐतिहासिक महत्वके जगहसवके उचित संरक्षण एवं सम्बद्र्धन होनसकला से उसवके पहिचान ही डुवेके अवस्थामे पुगल हए  । 
रौतहट जिल्लाके विभिन्न जगहमे रहल धार्मीक एवम् पर्यटकीय जगहसव  संरक्षण, सम्बर्धन एवं प्रचार प्रसार नभेलाके कारण पर्यटकीय एवं धामिर्क महत्वके ऐतिहासिक जगहसवके  पहिचान समाप्त होएके अवस्थामे पहुचल हए ।
गौर स्थित बरहवा ताल क्षेत्रके  विकास एवं विस्तारके लेल यातायात सहज बनावेला झुलुङगे पुल समेत निर्माण कएला पर भी अभि उ क्षेत्रके साथे पुरा क्षेत्रमे  गन्दगी हि गन्दगीसे भरल हए । तालके अधिकांस जमिनसव अतिक्रमण करके खेतमेपरिणता कर चुकल अवस्थारहल हए । बरहवा मे अभि भि पानी नसुकेके भेलासे आन्तरिक पर्यटन के आकर्षण  करेला डेन्गी चलावके प्रवल सम्भावना रहल, उ सिमसार क्षेत्र भी  संरक्षण आ संबद्र्धन बिहीन भेलाके कारण  परिचय समेत गमावेके अवस्थामा रहल हए । 
ओइसही रौतहटके  परौई अन्तरगत रहल नुनथर क्षेत्रमे मिलेवाला पथल नुनगर होएके साथे यातायातके सुविधा नभेल समयमे मकवानपुर, सिन्धुली आ रौतहट करके तिन जिल्लामे पैदल आवतजावत   करेवाला मुल नाकाके रुप मे नुनथर  परिचित रहल रहे । उ जगहके आकर्षण एवम् मनोरम बनावेला विभिन्न संघसंस्था कएले आथिर्क एवं भौतिक सहयोग बालुमे पाली जइसन भेल हए । उचित संरक्षणके अभावमे सब बनावलगेल भौतिक पूर्वाधार एवं साधनसव जीर्ण आ खतम होरहल अवस्था हए । साथे सिवनगरमे रहल शिवमन्दीरके अवस्था भी ओहन ही देख गेल हए । कहजाले प्राचिन समय मे ही भगवान शिवके लिंगसे उत्पन भेल हए उहाँके शिवलिंगके जाहाँ अस्था आ विश्वासके साथ हरेके एतवार लगायत तेरस, श्रीपन्चमी आ शिवरातके दिन विशेष महत्वके साथ जेभी भक्त अपन मुरादा लेकेजाइआ उसवके मुरादा पुरा होइअ, ओहीसे उहाँ रौतहट वारा, सलार्ही, विहारके विभिन्न जगहसे भक्तके भिड रहइअ । लेकिन आज तक उ पवित्र स्थलके विकासके लेल कओनो भी विचार नअएलासे दिन प्रतिदिन उहाँके महत्व लोप होएके अवस्थामे पुगल हए । ओइसही सन्तपुरमे  रहल मरधर सिमसा,  जाड़के मौसमे जाड़ासे बचेके लेल हुलके हुल साइबेरियन पंछी आवेवाला उ सिमसार क्षेत्रके भी परिचय खतम होएके अवस्थामे पुगल हए । ड़ेढ़ दशक पहिलेतक  हातिसारसे हाति प्रजनन् करावेला समेत सिमसारमे लियावल जाइत रहे जनबोली हए । अभि सिमसार क्षेत्र स्थानीय किसानके अतिक्रमणके चोटमे परके पतला होईत गेल हए  । मछरी पालनके लेल ठेक्का लगएले सिमसार क्षेत्र  ही एगो छोट  पोखरीमे परिणत भेल हए  । धामिर्क मान्यता राखले दोसर महत्वपूर्ण जगह हए  पौराइ ब्रम्हबाबा । जहाँ बारा, पर्सा, सर्लाही, आपरोसी देश भारतसे समेत भक्तालुसवके भिड लागले । बाबाके मन्दिरमे पुजा करेके मानलापर मनोकाङक्षा पुरा होएके जनविस्वास हए । एकर संरक्षण, विकास एवं विस्तार होए नसकलाके  कारण, इहाँ आवेवाला भक्ताजनसव विभिन्न समस्या झेलेके परल स्थानीय समाजसेवी श्रीराम न्यौपाने बताएलन  । 
अइसे रौतहटके विभिन्न स्थानके धार्मीक एवं प्रटकीय स्थल खतरामे मरहलासे  ए प्रति रौतहटके जिम्मेवार लोगके ध्यान देनाई एकदमे जरुर रहल देखल जाईआ । ई जगहसे रौतहटके पहिचा  रहलासे संरक्षण एवं संब्रद्धन करनाई एक दमे जरुरी हए ।

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