Friday, September 12, 2014

इंसानी दिमागके टक्कर देवे वाला रोबोट

    रौतहट, भादो ।  अमरीकी अनुसन्धाकर्ता सव एगो अइसन रोबोट ब्रेन बनएले हए जे इन्टरनेट पर लाखो वेभ पेजके ब्राउजर बनाके नयाँ नयाँ हुनर सिखा सकइत हए । ”रोबो ब्रेन” अइसन तरह से डिजÞाइन कएल गेल हए की उ  सार्वजनिक रुपसे उपलब्ध सूचना श्रोत से कए  प्रकार के हुनर और ज्ञान के हासिल कर सकइत हए ।
दुनिया के बाकीँ हिस्सा में मौजूद और रोबोट अपने रोजमर्राके कामके लेल   रोबो ब्रेनके सूचनाके उपयोग कर सकइत हए । आइसनके एगो प्रोजेक्ट रोबोअर्थके यूरोप में पहिले ही विकसित कएल जारहल हए । बीतल जनवरी में नीदरलैंड में एक प्रयोग कएल गेल रहे ।
रोबोअर्थ के जानकारि के श्रोत प्रोग्रामिंग हए जबकि रोबो ब्रेन इंटरनेट से मिलल सूचनासव के प्रति खÞुद अपन समझ बनवइअ ।
माइक्रोवेव और छाता
रोबो ब्रेन प्रोजेक्ट पर अमरीका के चार विश्वविद्यालय (काँर्नेल, ब्राउन, स्टैनफÞोर्ड और कैलिफÞोनिर्या मिलाके काम कर रहल हए । एमे गूगल और माइक्रोसाङ्खट जइसन कंपनिसव भी सहयोग कर रहल हए ।
अनुसन्धानकर्तासव के कहनाम  हए कि पिछला महीना कÞरीब एक अरब फोटो, एक लाख द्दण् हजÞार यूट्यूब वीडियो और लगभग ज्ञण्                 करोड़ उपकरण्ँों के मैनुअल के एमे खंगालेके शूरु कर देले                 हए ।
इ प्रोजेक्ट के एगो वेबसाइट में बतावल गेल हए की ई कुर्सी के पहचानु, माइक्रोवेव और छाता के प्रयोगके सम्झले हए  । अनुसन्धानकर्ता सव के कहना हए कि रोबो ब्रेन केवल वस्तुसव के ही न पहिचानले, बल्की ओमे मनुष्य के भाषा और व्यवहार जइसन जटिल चीज के समझे के भी Ôमता हए ।
ई दिमाग के पहचान सकइत हए और जान सकइत हए कि एकर प्रयोग कहे और कइसे कएल जाले ।
ई भी जानईअ की जव कओनो टिभि देखइत हए ओकरा                  रास्तामे न आवेके चाही । 
कार्नेल विश्वविद्यालय के एगो अनुसन्धानकर्ता आशुतोष सक्सेना कहलन, ”यदि कोई            रोबोट अइसन स्थिति में फसइत हए, जोनामे हवसे पर जाइअ त उ रोवोट ब्रेनसे सल्लाह                मश्वरा कर सकइत हए । 

No comments:

Post a Comment