Tuesday, June 16, 2015

सम्पदामे बज्जिका

जनसांस्कृतिक महासंघ, भाषा तथा लोकसाहित्य मञ्च नेपालके प्रकाशन सम्पदाके भाषा विशेषांकमे बज्जिका भाषा भी परल हए । प्रा.डा. पारसमणि भण्डारी संरक्षक रहल सम्पदाके सम्पादक मण्डलमे प्रा.डा. राजेन्द्रप्रसाद पौडेल, सहप्राध्यापक केशवराज पोखरेल, दावा शेर्पा। कर्णाखर खतिवडा आ सिद्धिबहादुर महर्जन रहल छथिन् । बारहगो भाषाके विषयपर विभिन्न विद्वानद्वारा लिखलगेल आलेख रहल सम्पदामे भाषा आ व्याकरणके विषयमे लिखलगेल थप तीनगो लेख भाषाउपर लिखलगेल हए । बज्जिक भाषाके विषयपर सम्पादक मण्डलके ही प्रा.डा. राजेन्द्रप्रसाद पौडेल “बज्जिका भाषाको अध्ययन” शीर्षकमे आलेख तयार कएलेछथिन् । विषय प्रवेश, पृष्ठभूमि, भाषिक पहिचान, विस्तार, वर्ण व्यवस्था, लिङ्ग, वचन, आदर, काल, विशेषण, आ वाच्य व्यवस्था, स्थितिजइसन उपशीर्षकमे प्रा.डा. पौडेल प्रकाश पारइत बज्जिकाके जीवन्त भाषाके रुपमे चिन्हएले छथिन् । पछिलका दुगो जनगणनाके बीचमे आएल बज्जिका चेतनाके प्रा.डा. पौडेल बहुत गतिशील कहइत बज्जिका भाषाके लेल भेल आ होरहल कामके बहुत प्रशंसा कएलेछथिन् ।
सम्पदामे बज्जिकाके साथे मैथिली, किराँती, गुरुङ, भुजेल, लिम्बु, धिमाल, दुमी, दनुवारी, दराई, दुरा आ व्याँसी भाषापर विभिन्न विद्वानद्वारा आलेख प्रकाशित हए । नेपालीय बज्जिकाके विषयपर प्रकाश पारलगेल पहिल लेख हए जे त्रिभुवन विश्वविद्यालयके प्रा.डा.द्वारा लिखलगेल हए । नेपालके भाषाके क्षेत्रमे ख्यातिप्राप्त विद्वान आ नेपाली भाषाके विभागीय प्रमुखद्वारा बज्जिकाके स्वतन्त्र भाषा स्वीकार कऽके लिखलगेल ई लेखके ऐतिहासिक महत्त्व रहल हए । उच्च बौद्धिक क्षेत्रके भाषिक विद्वानलोगके बीचमे बज्जिकाके पहुच भी एगो उपलब्धिके रुपमे रहल नेपाल बज्जिका भाषा शिक्षक प्रतिष्ठानके अध्यक्ष सफिन्द्र प्रसाद यादव प्रतिक्रिया देलेछथिन् । बज्जिका भाषावैज्ञानिक दृष्टिकोणसे अध्ययन कएलगेलासे बज्जिकाके विषयमे जानकारी लेबे चाहेबालाके लेल भी प्रा.डा. पौडेलके लेख महत्त्वपूर्ण रहल हए ।

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