Sunday, July 5, 2015

संबिधानमे संघियता रेखाङकन आ नामकरण केदिन नहए

श्याम सहनी “चन्द्रान्सु”
          संविधान लेखनमे अनिर्णित विषयः संघिय राज्यके नामाकरण आ शासकिय स्वरुप मुलत निर्णय बाँकी राखके संविधान घोषना कैएल कठिन चुनौतिके रुपमे देखल जाईता । शासकिय स्वरुप जनसधारणके लेल कनौ नेतासवके मौसमे लड़ाई हए । जनताके मुलचासोके रुपमे सुरक्षा स्थायित्व आ समृद्धि होईय । अमेरिका, वेलायत, भारत, जर्मनी, जापान , ब्राजिल आ सिंगापुरमे शासकिय स्वरुप अलग अलग किसिमके हए । कौनोभी शासकिय स्वरुप अपनेमे विकासके साधक आ बाधक नहोइअ । बाधक त अनावश्यक विषयके बखेड़ा करेमे दोसराके उपर शंका करेमे नेपालके राजनितिक नेतासवके क्षुद्र स्वाभाव हए ।
संघियताके भौगोलिक रेखाङकन आ संघियता राज्यके नामाकरण दुनु संवेदनशिल आ दुरगामी प्रभाव परेवाल जटिल विषय हए । नमहर दलके चार पार्टीके शीष नेतृत्वविच मे एगो जैउन १६ बुन्दे सहमीत बनल हए, उ सहमति जनताके हकहितमे करी त संघियताके रेखाङकन आ नामाकरणके लेल बालुवाटार, सिंहदरवार आ कौनो होटल, रिसोर्टके कोठा भितर बैइठके रेखाङकन आ नामाकरण नहोइ । जनताके हक अधिकार आ जनजाति, महिला, मधेशी, अपाङ्ग, मुसलमान, दलित सवके अधिकार संघियतामे उलेख करेके परि । संघियताके एगो रुप हए । हिमाल नेपालके शिर हए , पहाड विचके भाग हए, तराई पाउ आ पैर हए, नदीनाला बनजंगल देशरुपी शरिरके जिवित रक्तवाहेनी नली हए । यी चार अंगके शरिरमे बटावरा महत्व हए । केकरो कौनोके अबमूल्यन करेके नमिली । संघियताके भौगोलीक रेखाङकन उपयुक्त ढ़गसे कैल जरुरी हए ।
वि.सं २००७ से निरन्तररुपमे जनतासव खोज रहल हए प्रजातन्त्रमे मानव अधिकार, कानुनी शासन, शक्ति पृथ्वीकरण, प्रेस स्वतन्त्रता बहुलबाट, स्थानिय सरकार, आवधिक निर्वाचन, सुशासन, धार्मिक आ संस्कृतीक स्वतन्त्रता ईसव हए । प्रजातन्त्रके मुल आर्दश आ मर्म कहल स्वतन्त्र न्यायपालीका, खूलला अर्थव्यवस्था, एवं स्वत्रन्त्र समाचार आ भ्रष्टाचार मुक्त समाज । २०६६२÷६३ के दोसरका जनआन्दोलनके सफलता पूर्व संघिय लोक्तान्त्रिक गणतन्त्र नेपालके संविधान निमार्ण प्रक्रियामे अभि तक जनता आर्थिक उन्नति, शान्ति, आ संघिय संविधान चाह रहल हए ।

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